प्रभु में विश्वास

प्रभु में विश्वास

प्रभु में विश्वास संत राजिन्दर सिंह जी महाराज 29 अक्टूबर 2020 प्रभु के अदृश्य हाथ की सुंदरता यह है कि कई बार हम सहायता के लिए बहुत अधिक प्रार्थनाएँ करते हैं और हमें वो मिलती भी है। लेकिन कई बार जब हम सहायता माँगते नहीं हैं, तब भी हमें सहायता मिलती है। ऐसे मौके हमें...
धरती को वापस लौटाना

धरती को वापस लौटाना

धरती को वापस लौटाना संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अपने ग्रह को वापस लौटाने का अर्थ है कि जब हम उससे भोजन लें, तो हम भूमि का सही रख-रखाव करें, ताकि वो हमेशा हमें भोजन देती रही। इसका अर्थ है कि जब हम एक पेड़ काटें, तो उसकी जगह दूसरा अवश्य लगायें। इसका अर्थ है कि जब हम धरती...
ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है

ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है

ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है संत राजिन्दर सिंह जी महाराज 22 अक्टूबर 2020 ध्यानाभ्यास में, हम अपनी शारीरिक आँखों से कुछ भी देखने का प्रयास नहीं करते हैं। हम आत्मा की आँख से देखते हैं। इसीलिए, हमें ऊपर की ओर कुछ देखने की कोशिश में अपनी आँखों को माथे की ओर उठाने...
विचारों में अहिंसा

विचारों में अहिंसा

विचारों में अहिंसा संत राजिन्दर सिंह जी महाराज 14 अक्टूबर 2020 आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए अहिंसा एक महत्त्वपूर्ण सद्गुण है। इसका मतलब है कि हम विचारों से, वचनों से, और कार्यों से किसी भी जीव को नुकसान न पहुँचायें। जहाँ तक विचारों में अहिंसा की बात है, दूसरों...
नम्रता क्या है?

नम्रता क्या है?

नम्रता क्या है? संत राजिन्दर सिंह जी महाराज 16 दिसम्बर 2020 नम्रता एक ऐसा सद्गुण है जो हमें आध्यात्मिक रूप से विकसित होने में मदद करता है। इसका अर्थ है कि हम दूसरों को अपने से कम न समझें। हम दूसरों के प्रति दयालु व करुणापूर्ण रहें। नम्रता का अर्थ है कि हम दूसरों के...